सेवा की दिनचर्या: सत्संग के महान अनुभव और धर्म के सार्थक संवाद
दिन बहुत जल्दी-जल्दी व्यतीत हो रहे हैं। इन अन्तिम तीन दिनों में हम सभी को नयी सड़क के लिए मिट्टी उठाने की सेवा करने की आज्ञा मिल गयी। महाराज जी की दृष्टि हम पर थी; इसलिए यह हमारे लिए एक बहुत ही आनन्दमय अनुभव था। महिन्दर जी ने हमें बताया कि इस तरह की सेवा हाँ मैं को मारने का सबसे बढ़िया उपाय है, क्योंकि किसी का समाज में कितना ही ऊँचा दर्जा क्यों न हो या वह अपने आपको कितना ही महान् क्यों न समझता हो, सिर पर मिट्टी ढोने और धूल लथपथ होने पर वह अपने आपको नम्र होता महसूस करेगा। इस तरह होम की पकड़ ढीली होती है।
एक छोटी-सी लड़की को ऐलैक्स मक्कासकिल से स्नेह हो गया है, वह प्रतिदिन मिट्टी की सेवा के समय उसका हाथ पकड़कर नीचे-ऊपर कूदती रहती है। दोनों ने टोकरियाँ उठायी होती हैं। बच्ची ने एक छोटी-सी टोकरी उठायी होती है। वह छः-सात साल की एक मज़बूत इरादे वाली लड़की है। वह ऐलैक्स को वहाँ जाने के लिए कहती है, जहाँ से टोकरियाँ शीघ्र भरवाई जा सकती हैं और फिर टोकरियाँ भरने वालों को साफ़ शब्दों में बताती है कि ऐलैक्स की टोकरी कितनी भरनी है।
मुझे आज बेहद ख़ुशी हुई जब महाराज जी ने फ़रमाया कि अगर मेरे पासपोर्ट की कार्यवाही अच्छे ढंग से पूर्ण हो जाये, तो मैं यहाँ दो-तीन महीने और ठहर सकती हूँ और (मेरा पति) रौन अकेला वापस घर चला जाये, उसकी देखभाल की जायेगी।
पश्चिम वालों के लिए किया गया महाराज जी का कल का सत्संग बहुत प्रभावशाली था। बातचीत साधारण सांसारिक स्तर पर होने लगी। हम पश्चिमी देशों में जनसंख्या के बढ़ जाने की बात कर रहे थे, पर हुज़ूर ने धीरे-धीरे बात को परमार्थी विषय की ओर मोड़ लिया।
उन्होंने फ़रमाया कि यदि संसार को आपसी भाईचारे के बारे में कोई बात समझ आ सकती है, तो वह केवल किसी संयुक्त भाषा के द्वारा ही सम्भव है। हुजूर इस बात की तरफ़ इशारा करते प्रतीत होते हैं कि किसी देश की भाषा शायद दूसरे देशों को स्वीकार न हो पर ऐसपैरांटो (Esperanto) जैसी कोई अन्तर्राष्ट्रीय भाषा काम दे सकती है। पर संसार के अलग-अलग मुल्कों और कौमों में इसको लागू करने या सीखने की तरफ़ किसी का ध्यान ही नहीं हैं।
केवल आत्मिक स्तर पर ही हम एक बड़ा परिवार बन सकते हैं। उन्होंने फ़रमाया कि देखो! ब्यास में सारी क़ौमें किस तरह पूर्ण मित्रता के वातावरण में परस्पर प्रेम से इकट्ठी होती हैं।
कलॉड लवलेस ने एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न पूछा- हमारी जीवन शैली और सन्तमत के बारे में जब कोई हमें पूछे तो हम इसका जवाब कैसे दें? हुजूर ने फ़रमाया कि हमें लोगों की धार्मिक भावनाओं के बारे में कभी कोई दिल को ठेस पहुँचाने वाली बात नहीं करनी चाहिए। सन्तमत का दूसरे धर्मों से किसी तरह से मुक़ाबला नहीं करना चाहिए। हमारी वृत्ति सकारात्मक होनी चाहिए दूसरे धर्मों की निन्दा करने की नहीं सन्तमत अपने पैरों पर आप खड़ा होने वाला मार्ग है और इसका उपदेश इतना अद्भुत और मिठास भरा है कि खुद-ब-खुद दूसरों पर प्रभाव डालता है। यही कारण है कि लोग बिना किसी धार्मिक भेदभाव के इसकी तरफ अपने आप खिंचे चले आते हैं।
राष्ट्रीयता के बारे में बातचीत करते समय हँसते-हँसते महाराज जी ने हमें बताया कि एक बार मैं अपनी धर्मपत्नी हरजीत के पहनने के लिए सियाम देश (थाईलैंड) की एक पोशाक ले आया। यह पोशाक लम्बी और सीधी थी, जिसके एक तरफ कट था। फिर फ़रमाया, मैंने हँसते हुए हरजीत को कहा कि थोड़ी देर के लिए इसको पहनकर देखो तो सही, पर उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया।
हरजीत जी के कहने पर मुझे महाराज जी का दोपहर का भोजन तैयार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जैपी ने इस कार्य में मेरी सहायता की। हमें बताया गया कि हुजूर ने भोजन का खूब आनन्द उठाया, खास कर मुख्य भोजन का जिसके बारे में मुझे चिन्ता थी। आज सत्संग के बाद जब हम हुज़ूर के पीछे-पीछे उनके बाग़ की
तरफ आ रहे थे, तो उनको आगे-आगे चलते देखकर मुझे एक अद्भुत अनुभव हुआ। जिस तरह आम तौर पर होता है, जब हम किसी के साथ चलते हैं तो हमें कुछ पता नहीं होता कि उस व्यक्ति की शख्सियत किस तरह से प्रकट हो रही है या इसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। हुजूर की शख्सियत के बारे में क्या कहा जाये! आपकी शख़्सियत से एक शान्त जलाल भरी और गौरवमयी चाल का प्रभाव पड़ता है जो पँच भौतिक मायावी शरीर में से पैदा हुआ प्रभाव प्रतीत नहीं होता। आपको देखकर ऐसा महसूस होता है, जैसे एक सूक्ष्म प्रकाशमय स्वरूप हमारे साथ चल रहा हो। हम सभी उनके पीछे-पीछे चल रहे थे, मैं अपने आपको इतना हल्का और कोमल महसूस कर रही थी जैसे मैं हवा में चल रही हूँ। जब हम चलते-चलते हुज़ूर के पीछे रह जाते या कुछ नज़दीक आ जाते तो ऐसा प्रतीत होता जैसे हम सब इलास्टिक की ऐसी सूक्ष्म आत्मिक डोरी से उनसे बँधे हुए हों जो कि बीच की दूरी के बढ़ने घटने से लम्बी या छोटी होती रहती है। उससे भविष्य में समय और स्थान के कारण दूरी से उनसे विछोह की संभावना अर्थहीन लगने लगी।